Stock Split aur Bonus Share क्या है? – उदाहरण के साथ समझिए (2025 Guide)

परिचय:

स्टॉक मार्केट में अक्सर आप सुनते होंगे – “कंपनी ने स्टॉक स्प्लिट (Stock Split) किया है” या “कंपनी ने बोनस शेयर (Bonus Shares) घोषित किए हैं”। लेकिन ज़्यादातर शुरुआती निवेशकों को यह समझ नहीं आता कि आखिर इन दोनों का मतलब क्या है और यह उनके निवेश (Investment) पर कैसे असर डालते हैं।आज हम इस आर्टिकल में स्टॉक स्प्लिट और बोनस शेयर को आसान भाषा में, उदाहरण के साथ समझेंगे। साथ ही जानेंगे कि इन दोनों के बीच क्या फर्क है और क्यों कंपनियां इन्हें जारी करती हैं।
Stock Split और Bonus Share क्या है ?

स्टॉक स्प्लिट (Stock Split) क्या है?

स्टॉक स्प्लिट का मतलब है – किसी शेयर को छोटे–छोटे हिस्सों में बाँट देना। इससे शेयर की फेस वैल्यू (Face Value) और कीमत घट जाती है, लेकिन आपके पास शेयरों की संख्या बढ़ जाती है।
👉 उदाहरणमान लीजिए, आपके पास 1 शेयर है जिसकी कीमत ₹1000 है और फेस वैल्यू ₹10 है। कंपनी ने 1:2 का स्टॉक स्प्लिट घोषित किया। अब एक शेयर की फेस वैल्यू ₹5 हो जाएगी। और आपके पास 1 शेयर की जगह 2 शेयर आ जाएंगे।ध्यान रहेआपके निवेश की कुल कीमत पर कोई असर नहीं पड़ता। बस शेयरों की संख्या बढ़ जाती है और कीमत घट जाती है।
👉 यानी अगर आपके पास 100 शेयर ₹1000 के भाव से थे (कुल = ₹1,00,000) और कंपनी ने 1:2 स्प्लिट कर दिया तो अब आपके पास 200 शेयर ₹500 के भाव से होंगे।
👉 आपकी कुल कीमत फिर भी ₹1,00,000 ही रहेगी।

बोनस शेयर (Bonus Share) क्या है?

बोनस शेयर का मतलब है– कंपनी अपने शेयरधारकों (Shareholders) को फ्री में अतिरिक्त (Extra) शेयर देती है।
👉 उदाहरण: अगर आपके पास किसी कंपनी के 10 शेयर हैं और कंपनी ने 1:1 का बोनस घोषित किया–
  • तो हर 1 शेयर पर आपको 1 फ्री शेयर मिलेगा।
  • अब आपके पास 10 की जगह 20 शेयर हो जाएंगे।
👉 महत्वपूर्ण
  • आपको यह शेयर बिल्कुल फ्री मिलते हैं।
  • लेकिन कंपनी का शेयर प्राइस थोड़ा एडजस्ट हो जाता है ताकि कंपनी की कुल वैल्यू (Market Capitalization) बराबर रहे।

Stock Split और Bonus Share में अंतर

बिंदु Stock Split Bonus Share
परिभाषा एक शेयर को छोटे हिस्सों में बांटना मौजूदा शेयरधारकों को फ्री में अतिरिक्त शेयर देना
उद्देश्य शेयर का दाम सुलभ दिखे, लिक्विडिटी बढ़े निवेशकों को रिवॉर्ड, गुडविल/विश्वास बढ़ाना
फेस वैल्यू (Face Value) घट जाती है (जैसे ₹10 → ₹5) आमतौर पर वही रहती है
शेयर प्राइस पर प्रभाव अनुपात के अनुसार कम (जैसे 1:2 में आधा) अनुपात के अनुसार एडजस्ट (सामान्यतः घटता है)
शेयरों की संख्या बढ़ती है (जैसे 1 → 2) बढ़ती है (फ्री में मिलते हैं)
कुल निवेश मूल्य (तुरंत) बदलता नहीं बदलता नहीं
मार्केट कैप/होल्डिंग % लगभग समान रहता है; होल्डिंग % वही लगभग समान रहता है; होल्डिंग % वही
रिज़र्व/कैश का उपयोग नहीं हाँ, फ्री रिज़र्व/सिक्योरिटी प्रीमियम से जारी
EPS/PE पर प्रभाव (गणितीय) शेयरों की संख्या बढ़ने से EPS घटता; PE लगभग समान EPS घटता; PE लगभग समान
उदाहरण 1:2 Split → 100 शेयर ₹1000 = 200 शेयर ₹500 1:1 Bonus → 10 शेयर = 10 और फ्री, कुल 20
टैक्स नोट (सामान्य) Cost प्रति शेयर अनुपात में समायोजित; टैक्स बिक्री पर Bonus का Cost सामान्यतः शून्य माना जाता है; टैक्स बिक्री पर
रिकॉर्ड डेट/हकदारी रिकॉर्ड डेट तक शेयर होल्ड करने चाहिए रिकॉर्ड डेट तक शेयर होल्ड करने चाहिए

नोट: ऊपर दिया गया विवरण शैक्षणिक उद्देश्य के लिए है। निवेश और कर संबंधी निर्णय विशेषज्ञ सलाह लेकर ही करें।

कंपनियां Stock Split क्यों करती हैं?

1. अगर किसी कंपनी का शेयर बहुत महँगा हो जाए तो छोटे निवेशक खरीद नहीं पाते।
2. स्प्लिट के बाद शेयर सस्ता दिखता है → निवेशकों की मांग बढ़ती है।
3. मार्केट में शेयर की लिक्विडिटी (Liquidity) बढ़ जाती है।

कंपनियां Bonus Share क्यों देती हैं?

1. निवेशकों को रिवॉर्ड करने के लिए।
2. कंपनी की गुडविल और ब्रांड वैल्यू बढ़ाने के लिए।
3. अपने रिज़र्व फंड का इस्तेमाल करके शेयरहोल्डर्स को फायदा देने के लिए।

भारत के कुछ उदाहरण:

Stock Split का उदाहरण:

Reliance Industries और ITC जैसी बड़ी कंपनियां समय–समय पर स्टॉक स्प्लिट कर चुकी हैं।

Bonus Share का उदाहरण:

Infosys और WIPRO Company ने कई बार बोनस शेयर दिए हैं – जैसे 1:1 और 1:2 के अनुपात में।

निवेशक के लिए क्या सीख है?

Stock Split और Bonus Share, दोनों ही निवेशको के लिए फायदेमंद होते हैं क्योंकि इससे शेयर की संख्या बढ़ती है और ट्रेडिंग आसान हो जाती है। लेकिन यह ध्यान रखना ज़रूरी है कि निवेश का कुल मूल्य (Total Value) नहीं बदलता। असली फायदा तभी होता है जब कंपनी का बिज़नेस मजबूत हो और लंबे समय में उसका शेयर प्राइस बढ़े।

👉 आसान भाषा में समझें:

Stock Split= एक रोटी को दो हिस्सों में बाँट दिया।
Bonus Share= एक रोटी फ्री और मिल गई। 😃

📌 निष्कर्ष:

Stock Split और Bonus Share दोनों ही निवेशकों को शेयर मार्केट में जोड़े रखने और कंपनी की छवि मजबूत करने के तरीके हैं। अगर आप लंबे समय के निवेशक हैं तो यह दोनों ही घटनाएँ आपके लिए पॉजिटिव संकेत मानी जाती हैं।
👉 इसलिए जब भी आप किसी कंपनी में निवेश करें, तो सिर्फ स्प्लिट या बोनस देखकर निर्णय न लें।
हमेशा कंपनी की फाइनेंशियल हेल्थ, प्रॉफिट और बिज़नेस मॉडल भी देखें।

✅अगर आपको Stock Market और Mutual Fund की सरल भाषा में जानकारी चाहिए, तो नीचे दिए गए पोस्ट को जरूर पढ़ें: 👉 Stock Market क्या होता है? आसान भाषा में समझें है?

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